समय का ख्याल आते ही सियाराम साइकिल की गति बढ़ाने के लिए जल्दी-जल्दी पैंडल मारने लगे। पेट में चूहे कूद रहे थे। प्यास भी लग गई थी। वह शीघ्र घर पहुंच कर पहले पानी फिर कुछ खाना चाह रहे थे। जैसे ही वह पैंडल जल्दी-जल्दी चलाने की कोशिश करते चेन उतर जाती। इसके अलावा सड़क में जगह-जगह बने गढ्डे अलग से परेशान कर रहे थे। गढ्डों की वजह से साइकिल तेज चलाना और मुश्किल हो रहा था। कहने को यह हाइवे है, लेकिन सड़क की हालत गांव की पगडंडी से भी बदतर है। गड्डों में सड़क को खोजना पड़ता है.... डूबते सूरज की ओर ------------- सियाराम ने साइकिल पर बैठकर पैर से जैसे ही पैंडल पर जोर लगाया खटाक करके चेन उतर गई...। सियाराम को बहुत गुस्सा आया। मन ही मन गाली देते हुए साइकिल से उतरे और चेन को ठीक करने लगे। चेन चढ़ा ही रहे थे कि किसी ने पूछ लिया। - साइकिल खराब हो गई का? सियाराम ने चेन छोड़कर आवाज की तरफ देखा और मुस्करा कर बोले कि हां। - किसी कबाड़ी को बेच दो यार। अब यह चलाने लायक नहीं है। - पुरानी होने पर कोई घरवाली को बदल देता है का? सियाराम ने उस आदमी से चुहल की। - अरे भाई, दुनिया मोटरस...