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कहानी ओमप्रकाश तिवारी अम्मा ---- - अरे नालायकों इसे क्यों उठा लाए? घायल बिल्ली के बच्चे को देखते ही अम्मा चीख पड़ीं। - अम्मा, यह रास्ते में पड़ा था। बच्चे बोले। - जो भी रास्ते में पड़ा मिलेगा, तुम सब उसे उठा लाओगे? अम्मा गुस्से में बोलीं। - इसे चोट लगी है। कौवे ने चोच मार-मार कर घायल कर दिया है। यह भाग नहीं सकता। बेचारा मर जाएगा। बच्चों ने अपने बचाव में तर्क दिया। - तो मैं क्या करूं? -अम्मा यह मर जाएगा। अम्मा के नाती ने वकालत की। उसकी दिली इच्छा थी कि अम्मा मान जाएं। अब तक अम्मा भी उसकेपास आ गई थीं। उन्होंने बिल्ली के बच्चे को देखा। घाव गहरा था और खून बह रहा था। अम्मा का दिल पसीज गया। उन्होंने पास खड़ी नातीन से कहा - यहां खड़ी-खड़ी मुंह क्यों देख रही है, जरा सरसों का तेल और हल्दी गरम करके ला। अम्मा ने बिल्ली के बच्चे को अपने हाथ में ले लिया। जो साड़ी पहनी हुईं थी उसी से बिल्ली के बच्चे का घाव को पोछने लगीं। -कहां मिला यह? अम्मा ने बच्चों से पूछा। -जंगल के किनारे, खेत को जाने वाले रास्ते में पड़ा था। एक कौवा इसे चोच मार रहा था। - तुम लोगों ने मारा नहीं कौवे को? अम्मा ने नाती से कहा। - क