[05/07, 10:23 pm] Usha Tiwari: बेचैनियों के अंधड़ से बचने के लिए रात भर ताक पर बैठी रही नींद इंतजार करती रही आंखों के समुन्दर में उठती लहरों के बीच कई बार पलकों पर बैठी कानों के पास आकर बोली समा जाने दो मुझे अपनी तप्त आंखों में शांत कर ले दिमाग में उठे तूफान को सुबह होगी सूर्योदय भी होगा क्यों परेशान है एक सूर्यास्त से। @ओमप्रकाश तिवारी [07/07, 1:18 pm] Usha Tiwari: नापसंद करने वालों की सूची बनाई तो दोस्तों की तादाद ही कम हो गई नफरत करने वालों की सूची बनाई तो तार तार हो गए गहरे रिश्ते कई इसे जिन्दादिली कहो या समझदारी समझौता परस्ती कहो या दुनियादारी फिर भी मिटती नहीं है हस्ती हमारी @ ओमप्रकाश तिवारी [08/07, 3:30 am] Usha Tiwari: मुसाफिर के जाने के बाद कई लोग सामने आएंगे अफसाना सुनाने यकीन मानिए कलम तोड़ देंगे उसकी वाहवाही में खूबियों पर तो पूरी किताब लिख देंगे वश यही नहीं बताएंगे कि गुनहगार वे भी हैं उसके पैरों में पड़े छालों के लिए पथ पर उसके कांटे उन्होंने भी रखे थे कहीं पत्थर रखे तो कहीं गड्ढे खोदे थे मुस्कुराये थे उसके हर एक जख्म पर अब आंस...