कहानी -ओमप्रकाश तिवारी विजय अपनी सीट पर लेटा एक पुस्तक पढ़ने में ध्यानमग्न था। - हिंदू, हिंदी, हिंदुस्तान। वह जोर से चीखा। विजय के हाथ से पुस्तक गिरते-गिरते बची। इधर-उधर देखा तो निगाह बोगी के दरवाजे पर खड़े व्यक्ति पर अटक गई। वहां एक भगवाधारी व्यक्ति हाथ में डंडा लिए और माथे पर श्रीराम नाम लिखी पट्टी बांधे खड़ा था। - सब साले चोर हैं। नाली के कीड़े हैं। पूरे देश को गंदा करके रख दिया है। कहते हुए उसने डंडे से दरवाजे को पीटा तो विजय उठकर बैठ गया। विजय की दिलचस्पी किताब से हटकर उस व्यक्ति में हो गई। - भगवान राम का मंदिर जरूर बनेगा। हिंदू, हिंदी, हिंदुस्तान, जिंदाबाद-जिंदाबाद। वह लगभग चीख रहा था। उसकी इस हरकत से डिब्बे में बैठे लोगों का ध्यान उसकी तरफ चला गया था। लगभग सभी उसी को देख रहे थे। उसकी हरकतों से विजय आशंकित हो गया। विजय की निगाह अपनी किताब पर पड़ी तो वह और डर गया...। किताब उसकी विचारधारा से मेल नहीं खाती थी। विजय ने सोचा यदि इसे पता चल गया तो...। कुछ भी कर सकता है। हाथ में डंडा है...। पता नहीं और भी कुछ लिए हो...। याद आया गुजरात का गोधरा ट्रेन कांड और उसके बाद की स्थितियां...। - स...